★ शिविर में आने का निश्चित होते ही मेरा मन-मयूर नाचने लगा, जिसका वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है । भावनगर से रात्रि की बस में सूरत जाने के लिए निकले तब बस में ही सुबह-सुबह भव्य स्वप्न आया और श्री सांईबाबा (शिरडीवाले) के दर्शन हुये ।
★ हम सूरत पहुँचे और पूज्य गुरुदेव का सत्संग सुना । इतना आनंद आया कि जिसका वर्णन करना संभव नहीं है । सुबह-सुबह रामकृष्ण परमहंस के दर्शन हुये । दूसरे दिन प्रातःकाल लगभग ३ से ४ बजे के बीच रमण महर्षि के दर्शन हुये । उसके बाद के दिन भी सुबह-सुबह मेरे पूर्व के गुरुदेव पू. श्रीराम शर्मा (गायत्री के उपासक) के दर्शन हुये ।
★ हम पति-पत्नी दोनों ने साथ में ही मंत्रदीक्षा ली तब कोई जादुई चमत्कार हुआ और मेरा व्यक्तित्व ही कुछ अलग हो गया और हर प्रकार से मेरा विकास हुआ शिविर पूरा करके जब वापस लौटे तब की मस्ती कुछ और ही थी ।
★ शिवालय में दर्शन करने जाऊँ तब पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू ही दिखें । ध्यान या पूजा में ‘ ॐ… ॐ… ॐ… की ध्वनि सुनाई दे । कभी कभी स्वप्न में पूज्य गुरुदेव श्री आसारामजी बापू दिखें । अब श्री आसारामजी बापू के पास से शक्तिपात साधना की दीक्षा लेने के बाद तो मानो अनुभवों का सागर लहराने लगा है । जो भी प्रश्न पूछूँ उसका उत्तर मिल जाता है और चाहे जैसे मुश्किल कार्य हों, परंतु आसानी से हो जाते हैं ।
★ धन्य है इन योगेश्वर की आत्मयोग की दीक्षा सभी पुष्पों का सार होता है शहद वैसे ही सभी जपों का सार, मानो सद्गुरु श्री आसारामजी बापू आध्यात्मिक शहद का छत्ता न दे देते हों । ऐसे मेरे जैसे तो हजारों गुरुभाई और बहनें हैं जिन्होंने पहले अलग-अलग जगह साधनाएँ करके अंत में इन अलख के औलिया का आश्रय लिया है । वाणी आगे जाती नहीं है ।
★ धन्य भागी हैं वे लोग, जिन्होंने आसारामजी बापू के दर्शन किये हैं, उनके पास से साधना की दीक्षा ली है उन मेरे तमाम गुरुभाइयों को मेरे हजार हजार वंदन…!
★ गुरुदीक्षा लेने के बाद मेरे जीवन में बहुत परिवर्तन आ गया है । पहले मैं कदम-कदम पर बहुत डरती थी । नौकरी में भी कोई ऐसा कहेगा, कोई वैसा कहेगा, धमकी देगा, ऐसा डर बात-बात में लगता था । परंतु पूज्यपाद गुरुदेव के पास से, सूरत में मंत्रदीक्षा लेने के बाद तो सिंह जैसा बल और हिम्मत आ गयी है ।
– चंद्रिका बहन, भावनगर(गुजरात)