लक्ष्य ठीक तो सब ठीक…

लक्ष्य ठीक तो सब ठीक…


गुरु-सन्देश – लक्ष्य न ओझल होने पाये,कदम मिलाकर चल।सफलता तेरे चरण चूमेगी,आज नहीं तो कल ।।

▪

एक मुमुक्ष ने संत से पूछा :”महाराज मै कौन सी साधना करूँ ?”संत बड़े अलमस्त स्वभाव के थे । उनकी हर बात रहस्यमय हुआ करती थी।उन्होंने जवाब दिया : “तुम बड़े वेग से चल पड़ो तथा चलने से पहले यह निश्चित कर लो कि मैं भगवान के लिए चल रहा हूँ । बस,यही तुम्हारे लिए साधना है।”

▪

“महाराज ! क्या मेरे लिए बैठकर करने की कोई साधना नहीं है ?””है क्यों नहीं । बैठो और निश्चय रखो कि तुम भगवान के लिए बैठे हो ।””भगवन ! मैं कुछ जप न करूँ ?””करो, भगवन्नाम का जप करो और सोचो कि मैं भगवान के लिए जप कर रहा हूँ ।””तो क्या क्रिया का कोई महत्व नहीं ? केवल भाव ही साधना है ?

▪

आखिर में अपने गूढ़ वचनों का रहस्योदघाटन करते हुए संत ने कहा : “भैया ! क्रिया की भी महत्ता है परंतु भाव यदि भगवान से जुड़ा है और लक्ष्य भी भगवान ही हैं तो शबरी की झाड़ू-बुहारी भी महान साधना हो जाती है । हनुमानजी का लंका जलाना भी साधना हो जाती है । अर्जुन का युद्ध करना भी धर्मकार्य और पुण्य कर्म हो जाता है ।”

One thought on “लक्ष्य ठीक तो सब ठीक…

Leave a Reply to satish singh Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *