➡ खराब भोजन देना,,
कठिन सेवा देना,,
गाली गलौच करना,,
धमकाना,,
इस प्रकार से मानसिक प्रताड़ना दिया जाता है ।।
➡कईयों पर चोेरी का, हेराफेरी का, गलत इल्जाम लगाकर बदनाम किया जाता है ।।
एैसे में आश्रम के अंदर रह रहे साधकों में भय और डर का माहौल बन गया है ।।
जो समर्पित साधक होते है उनको हर प्रकार के कष्टों को फ़रियाद किये बिना सहना यह तितिक्षा का गुण है. अगर किसी साधक के साथ संचालकों के द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता हो तो वे साधक गुरुदेव को इस बात की सुचना दे सकते है. भय और डर के कारण पलायनवादी होना यह साधक का लक्षण नहीं है. मिलारेपा ने अनेक शारीरिक कष्ट और मानसिक यातनाओं को सहन करते हुए भी गुरुसेवा की तो उनको लक्ष्य की प्राप्ति हो गई. कच को असुरों ने दो बार मार डाला फिर भी उन्होंने कभी यह फ़रियाद नहीं की कि यहाँ भय और डर का माहौल बन गया है. और उनको तीसरी बार भी असुरोंने मार डाला तब न चाहते हुए भी शुक्राचार्य को उन्हें संजीवनी विद्या सिखानी पड़ी. ऐसे ही गुरु हर गोविन्द और गुरु गोविन्दसिंह के अनेक शिष्य मौत की भी परवाह किये बिना गुरुसेवा में लगे रहे और उनका परम कल्याण हो गया.