Shanka Samadhan

डॉ प्रेमजी के पत्र के जवाब का खंडन -5


आपने लिखा है “और श्री चंद ने गुरु गद्दी मांगी थी लेकिन प्रभुजी ने बापूजी से कोई गुरु गद्दी नही मांगी है” जब आपके प्रभुजी मेरे गुरुदेव के शिष्य ही नहीं है तो उनको गुरु गद्दी मांगने का अधिकार ही नहीं है. गुरु गद्दी कोई पैतृक संपत्ति नहीं है कि पिता के संतान उस में …

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डॉ प्रेमजी के पत्र के जवाब का खंडन -4


आपने लिखा है “आपके आश्रम में दिन भर सत्संग चलता है तो कोन सुधरा है”  यहाँ तो आपने सत्संग की निंदा करने का पाप किया है. आश्रम के साधकों को सुधारने का आपने ठेका लिया है क्या? सब की अपनी अपनी योग्यता होती है, सब अपने अपने ढंग से आगे बढ़ते है, और सब को …

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डॉ प्रेमजी के पत्र के जवाब का खंडन -3


आपने लिखा है “यह ऋषिप्रसाद नही द्वेष प्रसाद है। ” इस से तो यह स्पष्ट हो गया कि प्रभुजी ऋषि प्रसाद के सदस्य बनाने की सेवा करनेवाले मेरे गुरुदेव के सेवकों से उसे बंद करके अपने मेगेजिन की सदस्यता की सेवा में क्यों लगाते थे. वी सिर्फ अपने मेगेजिन की सदस्यता बढ़ाना ही चाहते हो …

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