Gurubhaktiyog

मस्त फकीर सिवली और जिज्ञासु की कथा


गुरु की महिमा गाने से उनका ईश्वरत्व हमारे हृदय में स्वयं प्रकट हो जाता है क्योंकि गुरु का स्वभाव स्वयं ईश्वर का स्वभाव होता है उसी स्वभाव के प्राप्ति हेतु ही मनीषियों ने ईश्वरोपासना का विधान किया है परन्तु वे लोग मेरे मत में अभागे ही रह जाते है जो साक्षात ईश्वर के चलते-फिरते स्वरूप …

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अजामिल का पतन (भाग-5)…


बाहर.. कुटिया के बाहर एक अलख जगी भिक्षाम देहि! भिक्षाम देहि! कलावती ने सुना तो हैरान सी हुई कि हम तो स्वयं भिखारियों से बदत्तर है फिर हमसे भिक्षा कौन मांग रहा है? बाहर आकर देखा तो वही साधुजन उसकी दहलीज़ पर खड़े अलख जगा रहे थे। कलावती की सब कलाएं तो रूप ढलने के …

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धन्य है आचार्य शंकर की गुरु भक्ति


गुरु कृपा का छोटे से छोटा बिंदु भी इस संसार के कष्टों से मनुष्य को मुक्त करने में पर्याप्त है। केवल गुरु कृपा के द्वारा ही साधक आध्यात्मिक मार्ग में लगा रह सकता है एवं तमाम प्रकार के बंधनों एवं आसक्तियों को तोड़ सकता है । जो शिष्य अहंकार से भरा हुआ है , जो …

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