Gurubhaktiyog

तुलसीपत्र में तुल गए भगवान…. (बोध कथा)


बाबा मुक्तानंद जी से किसी ने पूछा कि बाबा कहा जाता है कि गुरू को शिष्य की उतनी ही जरूरत होती है जितनी शिष्य को गुरू की । शिष्य की गुरू को जरूरत होती तो ठीक है परन्तु क्या गुरू की भी शिष्य को जरूरत होती है । बाबा ने कहा शिष्य को बारम्बार पग-2 …

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ऐसा प्रश्न किया गिलहरी ने कि प्रभु राम भी हो गए हैरान…. (बोध कथा)


प्रभु श्री राम चन्द्र जी ने गिलहरी से पूछा तु वहाँ सेतु पर क्या कर रही थी? गिलहरी ने कहा प्रभु मै भी सेतु निर्माण मे सहयोग दे रही हूं। प्रभु ने कहा तु किस प्रकार से सहयोग दे रही है? गिलहरी बोली प्रभु मै तो बहुत छोटा जीव हूं। कुछ ज्यादा तो नही कर …

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बुल्लेशाह ने किया कुछ ऐसा कौतुक कि उस दर्जी को इबादत का सच्चा मर्म सीखा दिया…


संसार या सांसारिक प्रक्रिया के मूल में मन है। बंधन और मुक्ति, सुख और दुख का कारण मन है।इस मन को गुरुभक्तियोग के अभ्यास से ही नियंत्रित किया जा सकता है। दरअसल बात उस समय की है जब दर्जी हज करके लौटा और लोगों के बीच अपनी तारीफों के पुल खड़ा करता रहा। गाँववाले उसका …

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