Gurubhaktiyog

एक बार सूर बाबा चलते चलते गहरे गड्ढे में गिर पड़े फिर क्या हुआ ? पढ़ें!


गुरु और शिष्य के बीच जो वास्तविक संबंध है.. उसका वर्णन नहीं हो सकता। वह लिखा नहीं जा सकता ,वह समझाया नहीं जा सकता। सत्य के सच्चे खोजी को करुणा स्वरूप ब्रह्मनिष्ठ गुरु के पास श्रद्धा और भक्ति भाव से जाना चाहिए। उनके साथ चिरकाल तक रहकर सेवा करनी चाहिए। आपके हृदय रूपी उद्यान में..निष्ठा, …

Read More ..

आखिर उस घने वन में क्यूँ वह देवी कठोर तप में निमग्न थी


स्वयं की अपेक्षा गुरु के प्रति अधिक प्रेम रखो। गुरु प्रेम और करुणा की मूर्ति है। आपको अगर उनके आशीर्वाद प्राप्त करने हो तो आप को भी प्रेम और करुणा की मूर्ति बनना चाहिए। वह किसी संत की सभा बैठी थी। किसी जिज्ञासु ने प्रश्न किया, “महाराज! बहुत अच्छे-2 साधको का पतन क्यों हो जाता …

Read More ..

महान संकट की ओर बढ़ रहें थे कदम और बुल्लेशाह अनजान था (भाग-11)


बुल्लेशाह ढफली की ताल से ताल मिलाता हुआ तालियाँ बजाने लगे। झूमता हुआ खड़ा हुआ। उसके पाँवो के घुंगरू भी बजने लगे। अब कव्वालों के सुरों और ढोल-ढफलियों की धुनों को चीरती हुई एक सुरीली आवाज उठी- ‘ दर्द से भीगी हुई, कशिश से नशीली हुई ‘। उसे सुनते ही महफ़िल का दिल धड़क उठा।बाकी …

Read More ..