एक बार सूर बाबा चलते चलते गहरे गड्ढे में गिर पड़े फिर क्या हुआ ? पढ़ें!
गुरु और शिष्य के बीच जो वास्तविक संबंध है.. उसका वर्णन नहीं हो सकता। वह लिखा नहीं जा सकता ,वह समझाया नहीं जा सकता। सत्य के सच्चे खोजी को करुणा स्वरूप ब्रह्मनिष्ठ गुरु के पास श्रद्धा और भक्ति भाव से जाना चाहिए। उनके साथ चिरकाल तक रहकर सेवा करनी चाहिए। आपके हृदय रूपी उद्यान में..निष्ठा, …