Gurubhaktiyog

युक्तेश्वर जी ने अपने शिष्य योगानंद जी से पहले ही दिन जो कहा उसे आप भी पढें..


गुरु में श्रद्धा गुरुभक्तियोग की सीढ़ी का प्रथम सोपान है। गुरु में श्रद्धा दैवी कृपा प्राप्त करने के लिए शिष्य को आशा एवं प्रेरणा देती है। गुरु में सम्पूर्ण विश्वास रखो। तमाम भय, चिंता और जंजाल का त्याग कर दो, बिल्कुल चिंतामुक्त रहो।गुरु के उपदेशों का आज्ञापालन या उनके मार्गदर्शन के आगे समर्पण गुरु-शिष्य संबंध …

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आखिर कबीरजी ने उस सुअर को अपने द्वार पर क्यूँ बंधवाया अद्भुत प्रसंग


संत कबीर जी सद्गुरु तो थे ही परंतु एक सच्चे सत्शिष्य भी थे। पंचगंगा घाट पर सभी संत आध्यात्मिक चर्चा कर रहे थे और अंदर गुफा में बैठके उनके गुरुदेव स्वामी रामानंद जी मानसिक पूजन कर रहे थे। वे पूजा की सभी सामग्री एकत्र कर नैवैद्य आदिक सब चढ़ा चुके थे। चंदन मस्तक पर लगाकर …

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शिष्य ने कपिल गुरु के उपदेश मे की मनोनुकूल हेरफेर फिर क्या हुआ..


शिष्य अगर अपने आचार्य के आज्ञा का पालन नहीं करता है तो उसकी साधना व्यर्थ है। साधक को विजातीय व्यक्ति का सहवास नहीं करना चाहिए। जो लोग ऐसे सहवास के शौकीन हो उनका संग भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि उससे मन क्षुब्ध होता है। फिर वह शिष्य भक्तिभाव और श्रद्धापूर्वक अपने गुरु की सेवा नहीं …

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