Gurubhaktiyog

क्यूँ शिष्य गुरु के पास हाथ में समिधा लिए जाते है, क्या कारण है पढि़ये …


सत्य के साधक को मन एवं इंद्रियों पर संयम रखकर अपने आचार्य के घर रहना चाहिए और खूब श्रद्धा एवं आदरपूर्वक गुरु की निगरानी में शास्त्रों का अभ्यास करना चाहिए। शिष्य को चुस्तता से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और आचार्य की पूजा करनी चाहिए। शिष्य को चाहिए कि वह आचार्य को साक्षात ईश्वर के …

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आयुर्वेदाचार्य श्री वाग्भट्ट जी का यह जीवनप्रसंग सभी शिष्यों को सुनना चाहिए…


सच्चे शिष्य के लिए तो गुरुवचन माने कानून। गुरु का दास बनना माने ईश्वर का सेवक बनना। आयुर्वेद के जगत में श्री वागभट्टाचार्यजी का नाम बड़े ही आदर के साथ लिया जाता है। वाग्भट्ट की तमन्ना साधना के उच्च शिखरों को छूने और अंतरजगत के अनंत प्रकाश में खो जाने की थी। अपनी इस तमन्ना …

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शिष्य के भाव को जान समर्थ गुरु वही प्रकट हुए फिर क्या हुआ?……


जैसे पानी को दूध में डाला जाय तो वह दूध में मिल जाता है और अपना व्यक्तित्व गवा देता है वैसे ही सच्चे शिष्य को चाहिए कि वह अपने आपको सम्पूर्णतः गुरु को सौंप दे उनके साथ एक रूप हो जाये। जैसे छोटे-छोटे झरने एवं नदिया महान पवित्र नदी गंगा से मिल जाने के कारण …

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