पूज्य बापूजी व वन में रहने वाले साधु का एक रोचक प्रसंग….
साधक अगर श्रद्धा एवं भक्तिभाव से अपने गुरु की सेवा नही करेगा तो उसके तमाम व्रत,तप आदिक कच्चे घड़े में से पानी की तरह टपक कर बह जाएंगे। मन एवं इंद्रियों का संयम गुरु भगवान का ध्यान, गुरु की सेवा में धैर्य, सहनशक्ति, आचार्य के प्रति भक्तिभाव, संतोष, दया, स्वच्छता, सत्यवादिता, सरलता, गुरु की आज्ञा …