269 ऋषि प्रसादः मईः 2015

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

Rishi Prasad 269 May 2015

प्रार्थना की अथाह शक्ति


सच्चे हृदय की पुकार को वह हृदयस्थ परमेश्वर जरूर सुनता है, फिर पुकार चाहे किसी मानव ने की हो या किसी प्राणी की हो। गज की पुकार को सुनकर स्वयं प्रभु ही ग्राह से उसकी रक्षा करने के लिए वैकुण्ठ से दौड़ पड़े थे, यह तो सभी जानते हैं। एक कथा आती है, एक पपीहा …

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Rishi Prasad 269 May 2015

ईश्वर क्या है ?…. एक रहस्यमय खोज


‘ईश्वर क्या है ?’ – टेहरी राजवंश के 15-16 वर्षीय राजकुमार के हृदय में यह प्रश्न उठा। वह स्वामी रामतीर्थ के चरणों में पहुँचा और प्रणाम करके पूछाः “स्वामी जी ! ईश्वर क्या है ?” उसकी प्रबल जिज्ञासा को देखकर रामतीर्थ जी ने कहा, “अपना परिचय लिखकर दो।” उसने लिखा, “मैं अमुक राजा का पुत्र …

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Rishi Prasad 269 May 2015

अमिट पुण्य अर्जित करने का अवसर-पुरुषोत्तम मास


पुरुषोत्तम/अधिक मास-  अधिक मास में सूर्य की सक्रांति (सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश) न होने से इसे ‘मल मास’ (मलिन मास) कहा गया है। स्वामीरहित होने से यह मास देव-पितर आदि की पूजा तथा मंगल कर्मों के लिए त्याज्य माना गया। इससे लोग इसकी घोर निंदा करने लगे। मल मास ने …

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