सेवा कर निर्बन्ध की…..
पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू परब्रह्म परमात्मा को न जानना उसका नाम है अविद्या। उसे कारण शरीर भी कहते हैं। कारण शरीर से सूक्ष्म शरीर बनता है। सूक्ष्म शरीर की माँग होती है देखने की, सुनने की, चखने की। सूक्ष्म शरीर की इच्छा होती है तो फिर स्थूल शरीर धारण होता है। स्थूल शरीर के …