055 ऋषि प्रसादः जुलाई 1997

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सदगुरु महिमा


पुज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू भगवान से कुछ माँगो मत। माँगने से देने वाले की अपेक्षा तुम्हारी माँगने की वस्तु का महत्त्व बढ़ जाता है। ईश्वर और गुरु माँगी हुई चीजें दे भी देते हैं किन्तु फिर अपना-आपा नहीं दे पाते। बलि ने भगवान वामन से कह दियाः “प्रभु ! आप जो चाहे ले सकते …

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सच्ची शांति के अधिकारी


परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू हमारा अधिकांश समय कुछ पाने, उसे संभालने और ʹवह नष्ट न हो जायʹ इसकी चिन्ता और मेहनत में ही नष्ट हो जाता है जबकि वास्तविकता तो यह है कि इस क्षणभंगुर मृत्युलोक में ऐसी कोई भी वस्तु और संबंध नहीं है जो सदा बना रहे। हम जो पाना चाहते …

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सच्चे सुख की खोज


पूज्यपाद संत श्री आसारामजी बापू कबीर जी ने कहा हैः भटक मूँआ भेदू बिना पावे कौन उपाय। खोजत-खोजत जुग गये पाव कोस घर आय।। आत्मतत्त्व के रहस्य को जानने वाले भेदू पुरुषों के सान्निध्य बिना जीव बेचारा कितने ही जन्मों से विषय-विकार के सुख में, अहंकार के सुख में, भविष्य के सुख में, और स्वर्ग …

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