088 ऋषि प्रसादः अप्रैल 2000

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

चिदानंदरूपः शिवोઽहं शिवोઽहं….


संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से ध्यानयोग शिविर में निःसृत पूज्यश्री की आत्मस्पर्शी अमृतवाणी श्री भोले बाबा ने कहा हैः पृथ्वी नहीं जल नहीं, नहीं अग्नि तू नहीं है पवन। आकाश भी तू है नहीं, तू नित्य है चैतन्यघन।। इन पाँचों का साक्षी सदा, निर्लेप है तू सर्व पर। निज रूप को पहिचानकर, हो …

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