198 ऋषि प्रसादः जून 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

मैं आपका विकास चाहता हूँ-पूज्य बापू जी


मुझे आपकी चीज नहीं चाहिए, आपकी वस्तु नहीं चाहिए, आपका प्रणाम तक नहीं चाहिए, आपका फूलहार भी आपको पहनाता हूँ तो मुझे आनंद आता है । मुझे आपसे क्या लेना है ? मुझे तो आपका विकास चाहिए बस । इस विनाश के युग में विकास चाहिए । इस युग में धन बढ़ गया, बम बढ़ …

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भाई मंझ की दृढ़ गुरुभक्ति


जीवन में चाहे कितनी भी विघ्न बाधाएँ आयें और चाहे कितने भी प्रलोभन आयें किन्तु उनसे प्रभावित न होकर जो शिष्य गुरुसेवा में जुटा रहता है, वह गुरु का कृपापात्र बन पाता है । जिसने पूर्ण गुरु की कृपा पचा ली उसे पूर्ण ज्ञान भी पच जाता है । अनेक विषम कसौटियों में भी जिसकी …

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