211 ऋषि प्रसादः जुलाई 2010

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सच्चे हितैषी हैं सदगुरू


इस सम्पूर्ण संसार में जितने भी प्राणी पुण्यकर्म करते हैं, वे सभी संतों का ज्ञानोपदेश सुन के ही करते हैं। अतः संसार में जो कुछ भी अच्छापन है वह सब संतों का ही उपकार है। स्थूल और सूक्ष्म शरीर से परे अपने निजस्वरूप घर को प्राप्त करने का विचार गुरू बिना नहीं मिलता। गुरू बिना …

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नंगा होना तो कोई विरला जाने !


(पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से) गांधारी ने दुर्योधन को कहा किः “मैंने आँखों पर पट्टी बाँध रखी है। मेरा तप इतना है कि आँख पर से पट्टी खोलूँ तो जैसा चाहूँ वैसा हो जायेगा। बेटे ! तू सुबह एकदम नग्न होकर आ जाना। मैं तुझे वज्रकाय हो जायेगा, फिर तेरे को कोई मार नहीं …

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मंत्र ले गया रोग, बंदर ले गये दवा


मैं काफी दिनों से ब्लडप्रेशर, डायबिटीज एवं कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित था। कुछ ही कदम चलने पर मैं पसीने-पसीने हो जाता था। कंधे भी जकड़े हुए थे, शरीर टूटता था। चिकित्सकों ने मुझे पूर्णरूप से आराम करने की सलाह दी थी परंतु मैं एक समाजसेवी संस्था का संचालन करता हूँ, इससे आराम करने में असमर्थ था। …

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