211 ऋषि प्रसादः जुलाई 2010

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

वर्षा ऋतु में स्वास्थ्य-सुरक्षा


ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक दुर्बलता को प्राप्त हुए शरीर को वर्षा ऋतु में धीरे-धीरे बल प्राप्त होने लगता है। आर्द्र (नमीयुक्त) वातावरण जठराग्नि को मंद कर देता है। शरीर में पित्त का संचय व वायु का प्रकोप हो जाता है। परिणामतः वात-पित्तजनित व अजीर्णजन्य रोगों का प्रादुर्भाव होता है। अतः इन दिनों में जठराग्नि को …

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सितारों से जहाँ कुछ और भी है…..


(पूज्य बापू जी का सत्संग-गंगा से) एक महात्मा हो गये स्वामी राम।  स्वामी रामतीर्थ नहीं, दूसरे स्वामी राम। अभी उनका शरीर तो नहीं है पर देहरादून में संस्था है। देश-विदेश में उनके बहुत अनुयायी थे। स्वामी राम के गुरु बड़े उच्चकोटि के संत थे। वे एकांतप्रिय थे, जिस किसी से ज्यादा बात करना या मिलना …

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शिष्य की मनमुखता और गुरु का धैर्य


(पूज्य बापू जी के सत्संग प्रवचन से) गुरु अपने शिष्य की सौ-सौ बातें मानते हैं, सौ-सौ नखरे और सौ-सौ बेवकूफियाँ स्वीकार करते हैं ताकि कभी-न-कभी, इस जन्म में नहीं तो दूसरे जन्म में यह जीव पूर्णता को पा ले। बाकी तो गुरु को क्या लेना है ! अगर गुरु को कुछ लेना है तभी गुरु …

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