वीर्यरक्षण ही जीवन है
वीर्य इस शरीररूपी नगर का एक तरह से राजा ही है। यह राजा यदि पुष्ट है, बलवान है तो रोगरूपी शत्रु कभी शरीररूपी नगर पर आक्रमण नहीं करते। जिसका वीर्यरूपी राजा निर्बल है, उस शरीररूपी नगर को कई रोगरूपी शत्रु आकर घेर लेते हैं। इसीलिए कहा गया हैः मरणं बिन्दुपातेन जीवनं बिन्दुधारणात्। ‘बिन्दुनाश (वीर्यनाश) ही …