213 ऋषि प्रसादः सितम्बर 2010

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

संस्मरणीय उदगार


आपके दर्शनमात्र से मुझे अदभुत शक्ति मिलती है….. “पूज्य बापू जी के लिए मेरे दिल में जो श्रद्धा है, उसको बयान करने के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं है। आज के भटके समाज में भी यदि कुछ लोग सन्मार्ग पर चल रहे हैं तो यह इन महापुरुषों के अमृतवचनों का ही प्रभाव है। बापू …

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प्रीति और स्मृति


(पूज्य बापू जी की अमृतवाणी) प्रीति और स्मृति में अन्तर है। देखो, जिससे प्रीति होती है उसकी स्मृति सतत बनी रहे यह कोई जरूरी नहीं। बेटे के लिए प्रीति होती है और कामकाज करते हैं तो क्या दिन भर बेटे की स्मृति करते हैं ? गहरी नींद में सो जाते हैं तो मैं कौन हूँ …

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प्रभु पूजा के पुष्प


हर भक्त ईश्वर की, गुरु की पूजा करना चाहता है। इस उद्देश्य से वह धूप, दीप और बाह्य पुष्पों से पूजा की थाली को सजाता है। बाह्य पुष्पों एवं धूप-दीप से पूजा करना तो अच्छा है परंतु इतने से इष्ट या गुरु प्रसन्न नहीं होते। ईश्वर या गुरु की कृपा को शीघ्र पाना हो तो …

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