अपनी समझ बढ़ाओ – पूज्य बापू जी
यह अलौकिक अर्थात् अति अदभुत त्रिगुणमयी मेरी माया बड़ी दुस्तर है परंतु जो पुरुष केवल मुझको ही निरंतर भजते हैं, वे इस माया को उल्लंघन कर जाते हैं अर्थात् इस संसार से तर जाते हैं।’ दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया। मामेव ये प्रपद्यन्ते मामायमेतां तरन्ति ते।। (गीताः 7.14) हे अर्जुन ! मुझ अंतर्यामी आत्मदेव …