साक्षात्कार करना तो है लेकिन…
श्रीमद् आद्य शंकराचार्य जी कहते हैं- दुर्लभं त्रयमेवैतद्देवानुग्रहहेतुकम्। मनुष्यतं मुमुक्षुत्वं महापुरुषसंश्रयः।। ‘भगवत्कृपा ही जिनकी प्राप्ति का कारण है वे मनुष्यत्व, मुमुक्षुत्व (मुक्त होने की इच्छा) और महान पुरुषों का संश्रय (सान्निध्य) – ये तीनों दुर्लभ हैं।’ (विवेक चूड़ामणिः3) एक व्यक्ति ने किसी आध्यात्मिक ग्रंथ में पढ़ा कि मनुष्य जीवन ईश्वर-साक्षात्कार करने के लिए ही होता …