225 ऋषि प्रसादः सितम्बर 2011

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

अपना पुरुषार्थ लघु उनकी कृपा गुरु


पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से सरल-में-सरल एक चीज  है और वही चीज कठिन-में-कठिन है। सरल भी इतनी कि साधारण-से-साधारण व्यक्ति भी उसको कर सकता है और कठिन भी इतनी कि बड़े-बड़े महाराथी भी हार जाते हैं। वह क्या है ? ‘भक्ति।’ रघुपति भगति करत कठिनाई। भगवान की भक्ति बड़ी कठिन है। युद्ध कर लेंगे, …

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कर्म का फल हाथों-हाथ


पुराने पंजाब के मुजफ्फगढ़ जिले के छोटे-से गाँव की यह सत्य घटना है। वहाँ राम दास नाम के एक भगवद्भक्त दर्जी रहते थे, जो आसपास के जमींदार परिवारों के कपड़े सिलकर अपनी आजीविका चलाते थे। वे हमेशा भगवन्नाम-स्मरण और भगवान की लीलाओं के गान में ही तल्लीन रहते थे। कपड़े सिलते समय भी उनका सुमिरन …

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तुम लगे रहो…. पूज्य बापू जी


समत्व योग बड़ा महत्त्वपूर्ण योग है। इस योग को समझने के लिए, इसमें प्रवेश करने के लिए धारणा, ध्यान, समाधि करो। समाधि करना अच्छा है, सेवा करना अच्छा है लेकिन इन सबका फल यह है कि तुम विदेही की नाईं शोभा पा लो। एक महात्मा बड़े सूक्ष्म विषय पर प्रवचन करते थे। वेदांत की गूढ़ …

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