अपना पुरुषार्थ लघु उनकी कृपा गुरु
पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से सरल-में-सरल एक चीज है और वही चीज कठिन-में-कठिन है। सरल भी इतनी कि साधारण-से-साधारण व्यक्ति भी उसको कर सकता है और कठिन भी इतनी कि बड़े-बड़े महाराथी भी हार जाते हैं। वह क्या है ? ‘भक्ति।’ रघुपति भगति करत कठिनाई। भगवान की भक्ति बड़ी कठिन है। युद्ध कर लेंगे, …