ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

‘मीठा-मीठा गप्प, कड़वा-कड़वा थू’


एक सेठ के बगीचे में गाय घुस आयी । सेठ ने दौड़कर डंडा मारदिया । डंडा मर्मस्थल पर लगा गया । गाय मर गयी ।गोहत्या आयी तो सेठ ने कहाः “मैंने गाय नहीं मारी, डंडे ने मारीहै । उसे लगो ।”गोहत्या डंडे के पास गयी तो वह बोलाः “मुझे तो हाथ ने चलाया है।”हाथ की …

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बल ही जीवन है – पूज्य बापू जी


बल ही जीवन है, दुर्बलता मौत है । जो नकारात्मक विचार करनेवाले हैं वे दुर्बल हैं, जो विषय-विकारों के विचार में उलझता है वह दुर्बलहोता है लेकिन जो निर्विकार नारायण का चिंतन, ध्यान करता है औरअंतरात्मा का माधुर्य पाता है उसका मनोबल, बुद्धिबल और आत्मज्ञानबढ़ता है ।

कुशलता कब ? – पूज्य बापू जी


वह पथ क्या पथिक ! जिस पथ पर शूल न हों ।नाविक की धैर्य-परीक्षा ही क्या, जब धाराएँ प्रतिकूल न हों ।।पथिक की कुशलता की परीक्षा क्या ? कि जब पथ अवरोधों सेभरा हो और वह अपनी मंजिल तय कर ले । नाविक के धैर्य की परीक्षाक्या ? जब धाराएँ प्रतिकूल हों और वह नाव …

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