Satsang

Satsang

प्रसन्नस्वरूप तू है


हमारा और परमेश्वर का संबंध सनातन है, सीधा-सादा है। हमारा और वस्तुओं का संबंध, हमारा और व्यक्तियों का संबंध माना हुआ संबंध है। माना हुआ सबंध (मान्यताएँ बदलती है और वस्तुएँ टूटती-फूटती है) बदल जाता हैं। वास्तविक संबंध किसी भी परिस्थिति में नहीं टूटता। वास्तविक संबंध को जानना है और माने हुए संबंध को अनासक्त …

Read More ..

‘बुद्धि’ अद्वैत में सोती है


आदमी दुःखी क्यों होता हैं और ईश्वर प्राप्ति में तकलीफ क्यों होती हैं? …कि ऐसा हो-ऐसा न हो, ऐसा मिले-ऐसा न मिले…। पक्का कर लो, अपनी तरफ से अड़चन नहीं बनेंगे और आप-चाही सब होती हैं क्या? आज तक तुमने कितना-कितना चाहा? तो तुम्हारा चाहा सब हो गया क्या? जो चाहते हो वह सब होता …

Read More ..

दिव्य श्रद्धा – 2


ध्रुव को, प्रह्लाद को पिता ने भजन करने से रोका था, लेकिन प्रह्लाद की भगवान में प्रीति थी, सत्संग सुना था।  कयाधू के गर्भ में थे, 5 महीने का प्रह्लाद था माँ के गर्भ में, तो उसकी मॉं नारदजी के आश्रम में रही थी, माँ तो सत्संग सुनते झोंका खा लेती थी लेकिन वह माँ …

Read More ..