दशहरे के दस विजयसूत्र
‘श्रीमद् भागवत’ के ग्यारहवे स्कंध के तेरहवें अध्याय के चौथे श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण उद्धवजी को बोलते हैं- आगमोऽपः प्रजा देशः कालः कर्म च जन्म च। ध्यानं मन्त्रोऽथ संस्कारो दशैते गुणहेतवः॥ ‘शास्त्र, जल, प्रजाजन, देश, समय, कर्म, जन्म, ध्यान, मंत्र और संस्कार- ये दस वस्तुएँ यदि सात्विक हों तो सत्वगुण की, राजसिक हों तो रजोगुण …