Tithi-Tyouhar

दशहरे के दस विजयसूत्र


‘श्रीमद् भागवत’ के ग्यारहवे स्कंध के तेरहवें अध्याय के चौथे श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण उद्धवजी को बोलते हैं- आगमोऽपः प्रजा देशः कालः कर्म च जन्म च। ध्यानं मन्त्रोऽथ संस्कारो दशैते गुणहेतवः॥ ‘शास्त्र, जल, प्रजाजन, देश, समय, कर्म, जन्म, ध्यान, मंत्र और संस्कार- ये दस वस्तुएँ यदि सात्विक हों तो सत्वगुण की, राजसिक हों तो रजोगुण …

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अपरोक्ष आनंद की अनुभूति : आत्मसाक्षात्कार


    संत श्री आशारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से (आत्मसाक्षात्कार दिवस : 2 अक्टूबर) जो सभीके दिलों को सत्ता, स्फूर्ति और चेतना देता है, सब तपों और यज्ञों के फल का दाता है, ईश्वरों का भी ईश्वर है उस आत्म-परमात्म देव के साथ एकाकार होने की अनुभूति का नाम है – साक्षात्कार । यह शुद्ध …

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