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Rishi Prasad 270 Jun 2015

जोधपुर संत-सम्मेलन में हुई माँग पूज्य बापू जी को जमानत शीघ्र दी जायः संत-समाज


24 मई को जोधपुर में ‘राष्ट्र जागृति संत-सम्मेलन’ सम्पन्न हुआ, जिसमें देशभर से आये संतों, धार्मिक संस्थाओं एवं समाजसेवी संगठनों के प्रमुखों तथा समाज के गणमान्य लोगों ने वहाँ उपस्थित विशाल जनसमाज को सम्बोधित किया एवं मा. राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजा। प्रस्तुत हैं संत-सम्मेलन में उद्बोधित कुछ अंशः
संत कृपाराम जी महाराज, गुरुकृपा आश्रम, जोधपुरः संस्कृति को अगर बचाना है तो उसके लिए संतों की रक्षा बहुत जरूरी है क्योंकि हमारी जो संस्कृति है उसका आधार संत हैं। राष्ट्र विरोधी ताकतें भी उसे ही गिराने का प्रयास करती हैं जिसकी वजह से सारा देश और सारी संस्कृति टिकी हुई होती है और वर्तमान में पूज्य बापू जी जैसे संतों पर ही हमारी संस्कृति और देश टिका हुआ है। इसलिए बापू जी को फँसाने का षड्यंत्र रचा गया। पूज्य बापू जी निर्दोष हैं और वे बहुत जल्दी बाहर आयेंगे।
श्री राम शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समितिः जिन बापू की वजह से जेल भी मंदिर बन गया, उन पर लगे आरोप सत्य हो सकते हैं क्या ? कभी नहीं। मेडिकल रिपोर्ट में लिखा है कि ‘उस लड़की के बदन पर खरोंच भी नहीं है’ तो बाकी की तो बात ही नहीं बनती है। और भी ऐसी कई बातें सामने आयी हैं।
एक सम्पादक के ऊपर भी बलात्कार का गुनाह दर्ज हुआ था, कुछ ही महीनों बाद उसको जमानत मिली। जिन राजनेता पर आरोप सिद्ध हुआ था, उनको जमानत मिल गयी। तो निर्दोष बापू जी को तो जेल में रखे हुए 21 महीने हो गये, उन्हें जमानत मिले – ऐसी हम अपील करते हैं।
एक अभिनेता के हाल ही के केस में यह कहा जाता है कि उसके स्थापित ट्रस्ट ने कुछ गरीबों की सहायता की, वह समाजसेवा कर रहा है लेकिन पूज्य बापू जी ने तो करोड़ों लोगों का उद्धार किया है, 50 वर्षों से देशभर में इतने बड़े स्तर पर गरीबों, जरूरतमंदों, गायों की सेवा की जा रही है, बच्चों-युवाओं को अच्छे संस्कार दिये हैं, असंख्य लोगों को व्यसनमुक्त किया है। आज बापू जी जेल में होते हुए भी नेपाल के भूकम्प पीड़ितों की सहायता करने के लिए अपने भक्तों को राहत-सामग्री सहित वहाँ भिजवाते हैं – यह कितनी बड़ी समाजसेवा है !
देशद्रोही छूट जाते हैं और साधु-संत अंदर रहते हैं। यदि सरकार को वास्तव में अच्छे दिन लाने हैं तो हमारा निवेदन है कि देशविरोधी कार्य करने वाले लोग अंदर होने चाहिए और जिन्होंने लोगों के मन में देशभक्ति, मातृभक्ति, पितृभक्ति जगायी है, उनको जेल से रिहा किया जाना चाहिए। हमारी माँग है कि 21 महीने हो गये हैं, बापू जी के साथ यह जो अन्याय हो रहा है, अत्याचार हो रहा है वह रुकना चाहिए। बापू जी के संवैधानिक मूलभूत अधिकारों व मानवाधिकारों का रक्षण होना चाहिए एवं जमानत मिलनी चाहिए।
परमहंस स्वामी अद्वैतानंद जी महाराज, बद्रीनाथः बापू जी ने इस संस्कृति को बढ़ाने में बहुमूल्य योगदान दिया है और इसकी वजह से संस्कृति को खत्म करने में लगी शक्तियाँ उनके पीछे लगीं। बापू जी को न्याय मिले, उनकी शीघ्र रिहाई हो।
महंत श्री रामगिरि बापू, महानिर्वाणी अखाड़ाः वे लोग बड़े भाग्यशाली हैं, जिनको बापू जी जैसे महान सदगुरु मिले हैं। कितनी भी आँधी आ जाये, पहाड़ टूट पड़ें, दरिया में से पानी बाहर आ जाय लेकिन बापू जी के प्रति लोगों की जो श्रद्धा है, उसको कोई कम नहीं कर सकता।
संत हरिदासजी महाराज, वैष्णव सम्प्रदायः किसी भी माध्यम से पूज्य बापू जी की सच्चाई, निर्दोषता जन-जन तक पहुँचे ऐसी सेवा करनी चाहिए। इस परिस्थिति में भी जो बापू जी से जुड़े हुए हैं, सेवा में जुड़े हुए हैं वे धरती पर के देवता हैं, उनको मेरा प्रणाम है।
श्री फूलकुमार शास्त्री जी, अंतर्राष्ट्रीय भागवत कथाकारः हमारे जो भाई-बहन सनातन धर्म की महिमा को भूलते जा रहे हैं, उनको जगाने का कार्य परम पूज्य बापू जी महाराज ने ही किया है। बापू जी ने करोड़ों लोगों को धर्म के साथ जोड़ा है। सारा संत-समाज पूज्य बापू जी के साथ खड़ा है। यह अंधकार शीघ्र ही छँटने वाला है, शीघ्र ही सदगुरु संत श्री आशाराम जी बापू हमारे बीच होंगे। भारत में पुनः पूर्णरूप से धर्म का झण्डा फहरायेगा।
योगाचार्य स्वामी धीरेन्द्र ब्रह्मचारीजीः आज नहीं, काफी लम्बे अरसे से सनातन संस्कृति, सनातन धर्म के खिलाफ कुछ-न-कुछ कूटनीति चलती आ रही है। बापू जी क्या करते हैं ? अपनी संस्कृति को बचाते हैं। इस देश के करोड़ों गरीबों की मदद करते हैं। लोगों के मन में भक्तिरस भरते हैं। उनके ऊपर इस तरह के आरोप लगाना और उनको इस उम्र में परेशान करना – यह बहुत ही ज्यादा हो गया।
भवानीलाल माथुर, प्रांत अध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषद, जोधपुरः आज एक बहुत बड़ा षड्यंत्र चल रहा है भारत को समाप्त करने का। लोगों को संस्कारित करने वाला, जगाने वाला जो संत-समुदाय है, आज उन संतों पर आघात किया जा रहा है। मैंने डांग (आदिवासी) क्षेत्र में लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि ‘संत आशाराम जी बापू के प्रवचनों के कारण, उनके सहयोग के कारण, उनके द्वारा हम लोगों में सामग्री एवं आर्थिक सहायता वितरित की जाने के कारण हम आज हिन्दू हैं अन्यथा मजबूरन हम ईसाई हो जाते। हमें दीवाली, होली नहीं मनाने देते थे। हम बड़े दबाव में थे, बड़े डरपोक हो गये थे।’ ऐसे लोगों को भूख से, अज्ञान से बचाने वाला कौन ? संत आशाराम जी बापू। उनके चरणों में मैं नमन करता हूँ।
श्री श्रवणरामजी महाराज, जोधपुरः यदि किसी का सेलिब्रिटी होना, लोग उनसे जुड़े होना यह महत्वपूर्ण बिन्दु बन सकता है तो बापू जी से तो करोड़ों लोग श्रद्धा, आस्था, सद्भावना से जुड़े हुए हैं, ऐसे में उन्हें न्याय मिलना चाहिए। ‘कल्पना’ नामक एनजीओ पूरा-का-पूरा बापू जी के खिलाफ षड्यंत्र में सहयोग कर रहा है, उसमें अनेक ईसाई हैं। बापू जी के खिलाफ रचे गये षड्यंत्र का खुलासा हो।
श्री रामाभाईः निंदकों ने, मीडिया ने बापू जी का इतना कुप्रचार किया लेकिन साधकों सुप्रचार से वह धुल रहा है। प्रत्येक साधक संकल्प ले कि मैं कम-से-कम 1000 ऋषि प्रसाद विशेषांक लोगों तक पहुँचा कर सुप्रचार-सेवा करूँगा।
श्रीमती रूपाली दुबे, रिटायर्ड लेफ्टिनेंट ऑफिसर, इंडियन नेवी, अध्यक्षा, अखिल भारतीय नारी रक्षा मंचः हमें जनजागृति करनी है और सारी हिन्दुत्वनिष्ठ शक्तियों को एकत्र होकर बापू जी को बाहर लाना है।
श्री शिवाभाईः आजकल कई लोग व्हाट्सअप और सोशल मीडिया पर एक दूसरे पर आरोप करते रहते हैं। साधकों व आश्रमवासियों के बीच दरार डालने वालों से सावधान रहें। अपनी समय-शक्ति को इधर-उधर की अफवाहों में न लगाकर प्रचार-प्रसार में लगायें तो हम शीघ्र ही सफल होंगे और पूज्य बापू जी जल्दी-से-जल्दी एकदम निर्दोष साबित होकर बाहर आयेंगे।
श्री सम्पत पुनिया, जोधपुर जिला प्रमुख, शिवसेनाः शिवसेना बापू जी का समर्थन करती है। बापू जी के ऊपर अन्याय हो रहा है और हम इसके खिलाफ आवाज उठायेंगे।
श्री कन्हैयालाल, महासचिव, हिन्दू महासभा, जोधपुरः जो समाचार पत्र बापू जी के नाम के आगे विकृत सम्बोधन लगाकर दुष्प्रचार करते हैं उनका बहिष्कार करें।
शिवसेना के जोधपुर जिला प्रभारी श्री महेन्द्रजी मेवाड़, जिला सचिव श्री गजेन्द्र महिया, जिला कोशाध्यक्ष कैलाश गौड़ आदि विभिन्न संगठनों के प्रमुख गणमान्य लोगों ने भी संत-सम्मेलन में उपस्थित होकर पूज्य बापू जी को शीघ्र रिहा करने की माँग की।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, जून 2015, पृष्ठ संख्या 33-35 अंक 270
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Rishi Prasad 269 May 2015

”बापू जी को निर्दोष बरी करना ही पड़ेगा” सुप्रसिद्ध न्यायविद् डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी


जोधपुर में पूज्य बापू जी से मिलने आये सुप्रसिद्ध न्यायविद् डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी ने पत्रकारों से बातचीत में कहाः “हमें भी विधि और कानून के बारे में ज्ञान है। बापू जी के जोधपुर केस की जो परिस्थिति है उसको मैंने जाना, मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि जाँच की स्थिति में होते हुए भी बापू जी 20 महीने से जेल में हैं। मैं समझता हूँ कि एक प्रकार से यह भारत का रिकार्ड है कि ऐसे केस में इतने महीने किसी को जमानत के बिना जेल में रखा गया। दंडित लोगों को भी अपील करने पर जमानत मिली है तो बापू जी को क्यों नहीं ? उनके साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ है। उनका मूलभूत अधिकार बनता है जमानत पर बाहर आने का।”
जब पत्रकारों द्वारा यह पूछा गया कि क्या बापू जी को षड्यंत्र के तहत फँसाया गया है तो उन्होंने कहा, “कुल मिलाकर सारी चीजों को देखने से इस विषय में तो मुझे लगता है कि आशाराम जी बापू के खिलाफ केस बनता ही नहीं है, इनको निर्दोष बरी करना ही पड़ेगा। जो शुरुआत में एफआईआर हुई थी दिल्ली में, वह तथाकथित घटना के 5 दिन बाद हुई थी। जो सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय उनके अनुसार कोई पुलिस स्टेशन ऐसे एफआईआर दर्ज नहीं करता है। इन्होंने (बापू जी ने) डांग क्षेत्र (गुजरात) में वनवासियों की हिन्दू धर्म में वापसी करायी थी और आगे धर्मान्तरण होने नहीं दिया। तो सारी धर्मांतरण वाली लॉबी इनके बहुत खिलाफ थी। उन सभी की इस केस में निश्चित भूमिका है। जिस प्रकार से दिल्ली में जीरो एफआईआर दर्ज हुई और फिर बाद में (तत्कालीन) राजस्थान सरकार ने जो दिलचस्पी दिखायी, उससे तो लगता है कि ऊपर से जरूर इशारा था। नयी धाराएँ लगाकर केस बनाया और गिरफ्तार किया था। यह बड़ा आश्चर्य है परन्तु यह सब ट्रायल का विषय है। गिरफ्तारी के जो आधार हैं, उनमें ऐसा कुछ स्पष्ट देखा नहीं। मेडिकल रिपोर्ट कोई सपोर्ट नहीं करती है, केवल एक लड़की के आरोप पर एक संत को आपने बंद किया है। टेकनिकली (विधि-अनुसार) केस बनता नहीं है। केस को लम्बा खींच रहे हैं दुनियाभर में बापू जी को बदनाम करने के लिए। बापू जी को 20 महीने के बाद भी जमानत क्यों नहीं दी गयी है ? सर्वोच्च न्यायालय ने कई बार कहा है कि ‘बेल इज़ द रूल ऐण्ड जेल इज़ द एक्सेप्शन’ (जमानत नियम है और जेल अपवाद)। जो शर्तें सर्वोच्च न्यायालय ने रखी थीं बापू जी की जमानत के लिए, वे पूरी हो गयी हैं। सब जाँच हो गयी है, अब उनको जेल में रहने का कोई कारण नहीं है, न्यायालय को जमानत देनी चाहिए।”
बापू जी पर लगे आरोपों के बारे में सवाल किये जाने पर सुब्रह्मण्यम स्वामी बोले, “आरोप तो हजार लगते हैं, सब पर लगते हैं। आरोप लगाना बहुत आसान है। सवाल है कि आधार क्या है ? और उस आधार के अनुसार में कह सकता हूँ कि इस केस में कोई दम नहीं है।
बापू जी एक संत हैं, इनका बड़ा व्यापक भक्त समुदाय है सारी दुनिया में। उनको बदनाम करना…. बड़ी गम्भीरता से विचारना चाहिए। जहाँ मुझे लगता है कि अन्याय हुआ है, वहाँ मैं लड़ूँगा।”
पत्रकार द्वारा यह पूछने पर कि “क्या आशाराम जी बापू के साथ अन्याय हुआ है ?” वे बोले, “बिल्कुल। केवल एक लड़की के आरोप हैं, कोई प्रूफ नहीं है। सारी बातें बनावटी हैं। तो इनको बेल क्यों नहीं दी 20 महीने से ? और 75 साल के हैं !”
स्रोतः ऋषि प्रसाद, मई 2015, पृष्ठ संख्या 6, अंक 269
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Rishi Prasad 268 Apr 2015

मीडिया ट्रायल न्यायाधीशों को प्रभावित करने की प्रवृत्ति


दिल्ली उच्च न्यायालय
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा हैः “मीडिया में दिखायी गयी खबरें न्यायाधीश के फैसलों पर असर डालती हैं। खबरों से न्यायाधीश पर दबाव बनता है और फैसलों का रुख भी बदल जाता है। पहले मीडिया अदालत में विचाराधीन मामलों में नैतिक जिम्मेदारियों को समझते हुए खबरें नहीं दिखाता था लेकिन अब नैतिकता को हवा में उड़ा दिया गया है। मीडिया ट्रायल के जरिये दबाव बनाना न्यायाधीशों को प्रभावित करने की प्रवृत्ति है। जाने-अनजाने में एक दबाव बनता है और इसका असर आरोपियों और दोषियों की सज़ा पर पड़ता है।”
कई न्यायविद् एवं प्रसिद्ध हस्तियाँ भी मीडिया ट्रायल को न्याय व्यवस्था के लिए बाधक मानती हैं। एक याचिका की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरीयन जोसेफ ने कहा हैः “दंड विधान संहिता की धारा 161 और 164 के तहत दर्ज आरोपी के बयान भी मीडिया को जारी कर दिये जाते हैं। अदालत में मुकद्दमा चलता है, उधर समानांतर मीडिया ट्रायल भी चलता रहता है।” सर्वोच्च न्यायालय ने कहा हैः “मीडिया का रोल अहम है और उससे उम्मीद की जाती है कि वह इस तरह अपना काम करे कि किसी भी केस की छानबीन प्रभावित न हो। कानून की नजर में कोई शख्स तब तक अपराधी नहीं है, जब तक उस पर जुर्म साबित न हो जाय। ऐसे में जब मामला अदालत में हो, तब मीडिया को संयम रखना चाहिए। उसे न्यायिक प्रक्रिया में दखल देने से बचना चाहिए।”
उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर कहते हैं- “मीडिया ट्रायल काफी चिन्ता का विषय है। यह नहीं होना चाहिए। इससे अभियुक्त के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित होने की धारणा बनती है। फैसला अदालत में ही होना चाहिए।”
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन् का मानना हैः “मीडिया ट्रायल अच्छा नहीं है क्योंकि कई बार इससे दृढ़ सार्वजनिक राय कायम हो जाती है जो न्यायपालिका को प्रभावित करती है। मीडिया ट्रायल के कारण की बार आरोपी की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो पाती।”
पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रविशंकर सिंह बताते हैं- “कई देशों में मीडिया ट्रायल के खिलाफ बड़े सख्त कानून बनाये गये हैं। इंगलैण्ड में कंटेम्प्ट हो कोर्ट एक्ट 1981 की धारा 1 से 7 में मीडिया ट्रायल के बारे में सख्त निर्देश दिये गये हैं। कई बार इस कानून के तहत बड़े अखबारों पर मुकद्दमे भी चलाये गये हैं। धारा 2(2) के तहत प्रिंट या इलेक्ट्रानिक मीडिया ऐसा कोई समाचार प्रकाशित नहीं कर सकता जिसके कारण ट्रायल की निष्पक्षता पर गम्भीर खतरा उत्पन्न होता हो। जिस तरह भारत में मीडिया ट्रायल के द्वारा केस को गलत दिशा में मोड़ने का प्रचलन हो रहा है, ऐसे में अन्य देशों की तरह भारत में भी मीडिया ट्रायल पर सख्त कानून बनाना बहुत ही आवश्यक हो गया है।”
विश्व हिन्दू परिषद के मुख्य संरक्षक व पूर्व अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल जी कहते हैं- “मीडिया ट्रायल के पीछे कौन है ? हिन्दू धर्म व संस्कृति को नष्ट करने के लिए मीडिया ट्रायल पश्चिम का बड़ा भारी षड्यंत्र है हमारे देश के भीतर ! मीडिया का उपयोग कर रहे हैं विदेश के लोग! उसके लिए भारी मात्रा में फंड्स देते हैं, जिससे हिन्दू धर्म के खिलाफ देश के भीतर वातावरण पैदा हो।”
मीडिया विश्लेषक उत्पल कलाल कहते हैं- “यह बात सच है कि संतों, राष्ट्रहित में लगी हस्तियों पर झूठे आरोप लगाकर मीडिया ट्रायल द्वारा देशवासियों की आस्था के साथ खिलवाड़ करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। जनता पर अपनी बात को थोपना, सही को गलत, गलत को सही दिखाना – क्या इससे प्रजातंत्र को मजबूती मिलेगी ? मीडिया की ऐसी रिपोर्टिंग पर सरकार न्यायपालिका और जनता द्वारा लगाम कसी जानी चाहिए।
संकलकः श्री रवीश राय
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2015, पृष्ठ संख्या 6,7, अंक 268
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