शरीर स्वास्थ्य

शरीर स्वास्थ्य


स्वास्थ्योपयोगी कुछ बातें

तुतलानाः सोते समय दाल के दाने के बराबर फिटकरी का टुकड़ा मुँह में रखकर सोयें। ऐसा नित्य करते रहने से तुतलाना ठीक हो जाता है।

मिरगीः 1. दस ग्राम हींग ताबीज की तरह कपड़े में सी कर गले में पहनने से मिरगी का दौरा रूक जाता है। 2. भुनी हुई हींग, सौंठ, काली मिर्च, पीपल, काला नमक समान मात्रा में पीसकर एक कप पेठे के रस मे इसका एक चम्मच चूर्ण मिलाकर नित्य पीते रहने से मिरगी का दौरा आना बंद हो जाता है। 3. रेशम के धागे में 21 जायफल पिरोकर गले में पहनने से भी मिरगी में लाभ होता है।

मधुमेहः 15 बिल्वपत्र (जो शिवजी को चढ़ते हैं) और 5 काली मिर्च पीसकर चटनी बना लें। उसे एक कप पानी में घोलकर पीने से मधुमेह (पेशाब और रक्त में शक्कर आना) ठीक हो जाता है। इसे लम्बे समय तक एक-दो साल लेने से मधुमेह स्थायी रुप से ठीक हो जाता है।

दूध कैसे पियें- दूध के झाग बहुत लाभदायक होते हैं। इसलिए जब भी दूध पियें, उसे खूब उलट-पुलटकर, बिलोकर, झाग पैदा करके पियें। झागों का स्वाद लेकर चूसें। जितने ही ज्यादा झाग दूध में होंगे, वह दूध उतना ही लाभदायक होगा।

गठियाः छाछ में समान मात्रा 4 में पिसी हुई सौंठ, जीरा, काली मिर्च, अजवायन, काला तथा सेंधा नमक मिलाकर एक-एक गिलास छाछ दिन में तीन बार नित्य पियें। गठिया ठीक हो जायेगी।

दीर्घायुः यदि आप लंबी जिन्दगी जीना चाहते हैं तो छोटी हर्र (हरड़े) रात को पानी में भिगो दें। पानी इतना ही डालें कि ये सोख लें। प्रातः उनको देशी घी में तलकर काँच के बर्तन में रख लें। नित्य एक-एक हरड़ सुबह शाम दो माह तक खाते रहें। शरीर हृष्ट पुष्ट होगा।

लू, गरमी से बचने के लिए रोजाना शहतूत खायें। पेट, गुर्दे और पेशाब की जलन शहतूत खाने से दूर होती है। आँतों के घाव और यकृत ठीक होते हैं। नित्य शहतूत खाते रहने से मस्तिष्क को ताकत मिलती है।

देशी घी में पान का पत्ता डालकर गर्म करें। फिर छान लें। ऐसा घी बहुत दिनों तक अच्छा रहता है।

हर्र-हरीतकी- Chebullic Myrobalan

सेवन विधिः हर्र चबाकर खाने से भूख बढ़ती है। पीसकर इसकी फंकी लेने से मल साफ आता है। सेंककर खाने से त्रिदोषों को नष्ट करती है। पौष्टिक और शक्तिवर्धक रूप में खाना खाते समय खायें। जुकाम, फ्लू, पाचनशक्ति ठीक करने के लिए भोजन करने के बाद सेवन करें। मात्राः 3 से 4 ग्राम।

सावधानीः गर्म प्रकृतिवाले, गर्भवती स्त्रियाँ, दुर्बल व्यक्ति सावधानी से इसका सेवन करें। जरा भी हानि प्रतीत होने लगे तो सेवन तुरंत बंद कर दें।

घंट की ध्वनि का औषध-प्रयोग

सर्पदंश में- अफ्रीका निवासी घंटा बजाकर जहरीले साँप की चिकित्सा करते हैं।

क्षय में- मास्को सैनीटोरियम में घंटा की ध्वनि से क्षय ठीक करने का सफल प्रयोग चल रहा। घंटा ध्वनि से क्षयरोग ठीक होता है। इससे अन्य कई शारीरिक कष्ट दूर होते हैं।

प्रसव में- अभी बजा हुआ घंटा आप पानी से धो डालिये और उस पानी को उस स्त्री को पिला दीजिये जिस स्त्री को अत्यन्त प्रसव वेदना हो रही हो और प्रसव न होता हो। फिर देखिये, एक घंटे के अंदर ही सारी आपत्तियों को हटाकर सफलता पूर्वक प्रसव हो जाता है।

(सत्पुरुषों के वचनामृत से संकलित)

चॉकलेट का अधिक सेवन हृदयरोग का देता है आमंत्रण

आज विज्ञापन तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ यह तय करती हैं कि हमें क्या खाना चाहिए, किस तरह जीना चाहिए। ʹफास्ट फूडʹ, ठण्डे पेय तथा चॉकलेट आदि अनावश्यक वस्तुएँ खाद्य पदार्थों के नाम पर लोकप्रिय होते जा रहे हैं।

क्या आप जानते हैं कि चॉकलेट में कई ऐसी चीजें भी हैं जो शरीर को धीरे-धीरे रोगी बना सकती हैं ? प्राप्त जानकारी के अनुसार चॉकलेट का सेवन मधुमेह एवं हृदयरोग को उत्पन्न होने में सहाय करता है तथा शारीरिक चुस्ती को भी कमजोर कर देता है। यदि यह कह दिया जाय कि चॉकलेट एक मीठा जहर है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

कुछ चॉकलेटों में ʹइथाइल एमीनʹ नामक कार्बोनिक यौगिक होता है जो शरीर में पहुँचकर रक्तवाहिनियों की आतंरिक सतह पर स्थित तंत्रिकाओं को उद्दीप्त करता है। इससे हृदयजन्य रोग पैदा होते हैं।

हृदयरोग विशेषज्ञों का मानना है कि चॉकलेट के सेवन से तंत्रिका कोषों पर जो उद्दीपन होता है उससे डी.एन.ए. जीन्स सक्रिय होते हैं जिससे हृदय की धड़कने बढ़ जाती हैं। चॉकलेट के माध्यम से शरीर में प्रवेश करने वाले रसायन पूरी तरह पच जाने तक अपना दुष्प्रभाव छोड़ते रहते हैं। अधिकांश चॉकलेटों के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली निकिल धातु हृदयरोगों को बढ़ाती है।

इसके अलावा चॉकलेट के अधिक प्रयोग से दाँतों में कीड़ा लगना, पायरिया, दाँतों का टेढ़ा होना, मुख में छाले होना, स्वरभंग, गले में सूजन व जलन, पेट में कीड़े, मूत्र में जलन आदि अऩेक रोग पैदा हो जाते हैं।

वैसे भी शरीर-स्वास्थ्य एवं आहार के नियमों के आधार पर किसी व्यक्ति को चॉकलेट की आवश्यकता नहीं है। यह एक अनावश्यक वस्तु है जिसे धन बटोरने वाली कंपनियाँ आकर्षक विज्ञापनों द्वारा आवश्यक वस्तु की तरह प्रदर्शित करके जनता को मूर्ख बनाती हैं। अतः अपने शरीर को निरोग रखने के इच्छुक लोगों को अपने पसीने की कमाई का दुरुपयोग न करके चॉकलेट जैसी अनावश्यक तथा बीमारियाँ पैदा करने वाली वस्तुओं का दूर से ही त्याग कर देना चाहिए।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जून 2000, पृष्ठ संख्या 29,30 अंक 90

ૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐૐ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *