नींबू उत्तम पित्तशामक, वातानुलोमक, जठराग्निवर्धक व आमपाचक है। यह अम्लरसयुक्त (खट्टा) होने पर भी पेट में जाने के बाद मधुर हो जाता है। मंदाग्नि, अजीर्ण, उदरवायु, पेट में दर्द, उलटी, कब्ज, हैजा आदि पेट के रोगों में यह औषधवत काम करता है। हृदय, रक्तवाहिनियों व यकृत (लीवर) की शुद्धि करता है। इसमें पर्याप्त मात्रा में स्थित विटामिन ʹसीʹ रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाता है। यह जंतुनाशक भी है। प्रातः खाली पेट नींबू का रस पानी में मिलाकर पीने से आँतों में संचित विषैले पदार्थ नष्ट हो जाते हैं तथा रक्त शुद्ध होने से सम्पूर्ण शरीर की ही सफाई हो जाती है, मांसपेशियों को नया बल मिलता है। इससे शरीर में स्फूर्ति व ताजगी आती है।
औषधीय प्रयोग
दाँतों के रोगः नींबू के रस को ताजे जल में मिलाकर कुल्ले करने से दाँतों के अनेक रोगों में लाभ होता है। मुख की दुर्गंध दूर होती है।
निचोड़े हुए ताजे नींबू के छिलके से दाँतों को रगड़ने से अथवा छिलकों को सुखाकर कूट-पीस के उससे मंजन करने से दाँत मजबूत, साफ व सफेद हो जाते हैं।
नींबू का रस, सरसों का तेल व पिसा नमक मिलाकर रोज मंजन करने से दाँतों के रोग दूर होकर दाँत मजबूत व चमकदार होते हैं।
पायरिया में मसूड़ों पर नींबू का रस मलते रहने से रक्त व मवाद का स्राव रूक जाता है।
पुरानी खाँसीः एक चम्मच नींबू के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर लेने से पुरानी खाँसी में लाभ होता है।
जुकामः गुनगने पानी में नींबू का रस व शहद मिलाकर पीने से शीघ्र लाभ होता है।
सिरदर्दः नींबू के दो समान टुकड़े कर उन्हें थोड़ा गर्म करके सिर व कनपटियों पर लगाने से सिरदर्द में आराम मिलता है।
गले की तकलीफें- गले की सूजन, गला बैठ जाना आदि में गर्म पानी में नींबू का रस व नमक मिलाकर गरारे करने चाहिए। जिन्हें खाँसी में पतला कफ निकलता हो उनको यह प्रयोग नहीं करना चाहिए।
उच्च रक्तचापः किसी भी प्रकार से नींबू के रस का प्रयोग करने से रक्तवाहिनियाँ कोमल व लचकदार हो जाती हैं। हृदयाघात (हार्ट-अटैक) होने का भय नहीं रहता व रक्तचाप सामान्य बना रहता है।
नींबू का रस, शहद व अदरक का रस तीनों एक-एक चम्मच गुनगुने पानी में मिलाकर सप्ताह में 2-3 दिन पियें। यह पेट के रोग, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग के लिए एक उत्तम टॉनिक है।
बाल गिरनाः नींबू का रस सिर के बालों की जड़ों में रगड़कर 10 मिनट बाद धोने से बालों का पकना, टूटना या जुएँ पड़ना दूर होता है।
सिर की रूसीः सिर पर नींबू का रस और सरसों का तेल समभाग मिलाकर लगाने व बाद में दही रगड़कर धोने से कुछ ही दिनों में सिर की रूसी दूर हो जाती है।
पेटदर्द, मंदाग्निः एक गिलास पानी में दो चम्मच नींबू का रस, एक चम्मच अदरक का रस व शक्कर डालकर पीने से पेटदर्द में आराम होता है, जठराग्नि प्रदीप्त होती है, भूख खुलकर लगती है।
मोटापा एवं पुराना कब्जः एक गिलास गुनगुने पानी में एक नींबू का रस एवं दो चम्मच शहद डालकर पीने से शरीर की अनावश्यक चर्बी कम होती है एवं पुराना कब्ज मिटता है।
दाद-खाजः नींबू का रस में इमली के बीज पीसकर लगाने से लाभ होता है।
त्वचा-विकारः नींबू के रस में नारियल का तेल मिलाकर शरीर पर उसकी मालिश करने से त्वचा की शुष्कता, खुजली आदि रोगों से लाभ होता है।
अजीर्णः भोजन से पूर्व अदरक, सेंधा नमक व नींबू का रस मिलाकर लें।
पित्त विकारः नींबू के शरबत में अदरक का रस व सेंधा नमक मिलाकर सुबह खाली पेट लें।
स्वास्थ्य-प्रदायक पेयः एक गिलास गुनगुने पानी में एक नींबू का रस व 25 तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर सुबह खाली पेट पीने से हृदय की रक्तवाहिनियों का अवरोध () दूर हो जाता है। यह प्रयोग हफ्ते में 2-3 बार नियमित रूप से करें। इससे अतिरिक्त चर्बी की गाँठें () भी पिघल जाती हैं।
मोटे व्यक्तियों व हृदयरोगियों के लिए यह प्रयोग वरदानस्वरूप है। स्तन की गाँठें, गर्भाशय की गाँठें, अंडाशय गाँठ () में भी इस प्रयोग के अदभुत लाभ मिले हैं। इस स्वास्थ्य-प्रदायक पेय में 2 से 3 सफेद मिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से कैंसर की गाँठों में (अर्बुद) में भी लाभ मिलता है। इसके साथ गोझरण अर्क का सेवन, पथ्यकर आहार व प्राणायाम आवश्यक है।
सावधानीः कफ, खाँसी, दमा, शरीर में दर्द के स्थायी रोगियों को नींबू नहीं लेना चाहिए।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, मई 2012, अंक 233, पृष्ठ संख्या 31,32
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