राष्ट्र की पहली आवश्यकता

राष्ट्र की पहली आवश्यकता


दार्शनिक कन्फ्यूशियस के एक शिष्य ने उनसे पूछाः “गुरु जी ! एक राष्ट्र के लिए मुख्य रूप से किन-किन चीजों की जरूरत है ?”

कन्फ्यूशियस ने कहाः “राष्ट्र की तीन मुख्य जरूरतें होती हैं – सेना, अनाज और आस्था।”

“गुरुवर ! यदि इन तीनों में से एक न मिले तो किसे छोड़ा जा सकता है ?”

“सेना को छोड़ा जा सकता है। किसी भी देश के लिए अनाज और आस्था अवश्य चाहिए।”

“गुरुजी ! यदि दो न मिलें तो इनमे से किन्हें छोड़ा जा सकता है ?”

“तब अनाज को भी छोड़ा जा सकता है लेकिन आस्था को नहीं। आस्था नहीं रहने से देश नहीं रह सकता। एक सच्चा राष्ट्र अपनी आस्था से ही चिरंजीवी हो सकता है, वही उसकी पहचान है।” और वह आस्था, श्रद्धा जीवित रहती है संतों के कारण। तो आप सोच सकते हैं कि संत देश के लिए कितने आवश्यक एवं अनमोल होते हैं।

इसी संदर्भ में संत महासभा, हरियाणा के संयोजक स्वामी कल्याणदेव जी कहते हैं- “गीता ज्ञान, गौ सेवा, गंगा – इनका लाभ लेने के लिए संत ही प्रेरित करते हैं। यदि संत सुरक्षित हैं तो ये सब सुरक्षित होंगे, नहीं तो कोई सुरक्षित नहीं है।”

स्रोतः ऋषि प्रसाद, नवम्बर 2017, पृष्ठ संख्या 7 अंक 299

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