296 ऋषि प्रसादः अगस्त 2017

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

जीवन की सार्थकता


राजा विक्रमादित्य अत्यंत पराक्रमी, न्यायप्रिय, प्रजाहितैषी, ईमानदार एवं दयालु शासक थे। उनकी प्रजा उनके द्वारा किये गये कार्यों की सराहना करते नहीं थकती थी। एक बार वे अपने गुरु के दर्शन करने उनके आश्रम पहुँचे। आश्रम में उन्होंने गुरुजी से अपनी कई जिज्ञासाओं का समाधान पाया। जब गुरु जी वहाँ से चलने लगे तो राजा …

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जिंदगी का लेखा जोखा


आयुर्वर्शतं नृणां परिमितं रात्रौ तदर्धं गतं तस्यार्धस्य परस्य चार्धमपरं बालत्ववृद्धत्वयोः। शेषं व्याधिवियोगदुःखसहितं सेवादिभिनींयते जीवे वारितरङ्चञ्चलतरे सौख्यं कुतः प्राणिनाम्।। ‘वेदों द्वारा मनुष्यों की आयु 100 वर्ष बतायी गयी है। उसका आधा भाग अर्थात् 50 वर्ष तो रातों में चला जाता है। आधे का आधा भाग अर्थात् 25 वर्ष बालपन और बुढ़ापे में बीत जाता है। बाकी …

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कौन मुक्त हो जाता है ?


महाभारत (आश्वमेधिक पर्व अध्याय 19 ) में आता हैः अनमित्रश्च निर्बन्धुरनपत्यश्च य क्वचित्। त्यक्तधर्मार्थकामश्च निराकाङ्क्षी च मुच्यते।। ‘जो किसी को अपना मित्र, बंधु या संतान नहीं मानता, जिसने सकाम धर्म, अर्थ और काम का त्याग कर दिया है तथा जो सब प्रकार की आकांक्षाओं से रहित है, वह मुक्त हो जाता है।’ (श्लोकः 6) नैव …

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