जीवन की सार्थकता
राजा विक्रमादित्य अत्यंत पराक्रमी, न्यायप्रिय, प्रजाहितैषी, ईमानदार एवं दयालु शासक थे। उनकी प्रजा उनके द्वारा किये गये कार्यों की सराहना करते नहीं थकती थी। एक बार वे अपने गुरु के दर्शन करने उनके आश्रम पहुँचे। आश्रम में उन्होंने गुरुजी से अपनी कई जिज्ञासाओं का समाधान पाया। जब गुरु जी वहाँ से चलने लगे तो राजा …