288 ऋषि प्रसादः दिसम्बर 2016

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

उत्तरायण हमें प्रेरित करता है जीवत्व से ब्रह्मत्व की ओर


पूज्य बापू जी उत्तरायण कहता है कि सूर्य जब इतना महान है, पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है, ऐसा  सूर्य भी दक्षिण से उत्तर की ओर आ जाता है तो तुम भी भैया ! नारायण जीवत्व से ब्रह्मत्व की ओर आ जाओ तो तुम्हारे बाप का क्या बिगड़ेगा ? तुम्हारे तो 21 कुल तर …

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भक्तों की लाज रखते भगवान


भक्त लाला जी का जन्म सौराष्ट्र प्रांत के सिंधावदर ग्राम में संवत् 1856 चैत्र शुक्ल नवमी को एक समृद्ध वैश्य कुल में हुआ था। ऐसा माना जाता है कि वे संत नरसिंह मेहता के अवतार थे। बचपन से ही उनमें भगवद्भक्ति और साधुसेवा के प्रति बहुत लगाव था। उनके पिता का नाम बलवंतशाह और माता …

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प्रारब्ध बड़ा कि पुरुषार्थ ?


जो लोग आलसी होकर भाग्य के भरोसे बैठे रहते हैं और अकर्मण्यता के कारण भाग्य को ही सब कुछ मानते हैं, उन्हें प्रेरणा देने हेतु महाभारत में ज्ञानवर्धक वार्ता आती हैः एक बार युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से पूछाः “पितामह ! दैव (प्रारब्ध) और पुरुषार्थ में कौन श्रेष्ठ है ?” भीष्म जी ने कहाः “युधिष्ठिर …

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