भक्तकवि संत पुरंदरदासजी
विजयनगर के महाराज कृष्णदेव राय का समकालीन श्रीनिवास नायक नाम का एक सेठ था, जो रत्नों का व्यापार करता था । उसके पास एक ब्राह्मण आया और बोलाः “सेठ जी ! मैंने अपनी कन्या की मँगनी कर दी है लेकिन अब शादी करने के लिए धन की जरूरत है इसीलिए आप जैसे सेठ के पास …