203 ऋषि प्रसादः नवम्बर 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

भक्तकवि संत पुरंदरदासजी


विजयनगर के महाराज कृष्णदेव राय का समकालीन श्रीनिवास नायक नाम का एक सेठ था, जो रत्नों का व्यापार करता था । उसके पास एक ब्राह्मण आया और बोलाः “सेठ जी ! मैंने अपनी कन्या की मँगनी कर दी है लेकिन अब शादी करने के लिए धन की जरूरत है इसीलिए आप जैसे सेठ के पास …

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ऐसी वाणी बोलिये….


एक राजकुमार था । वह बड़ा ही घमंडी और उद्दण्ड था । उसके मुँह से जब देखो तब कठोर वचन ही निकलते थे । लोग उसके दुर्व्यवहार से बहुत परेशान थे । राजा उसे बहुत समझाता लेकिन उस पर कुछ असर ही नहीं होता था । विवश होकर राजा एक दिन एक संत के पास …

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दैवी सम्पदा विकसित करो – पूज्य बापू जी


तुम अपने जीवन में आत्मतेज को जगाओ । जब तक तुमने आत्मतेज नहीं जगाया, तब तक भगवान में दृढ़ प्रीति नहीं होगी, तब तक मन का धोखा दूर नहीं होगा और चाहे कितना भी कुछ तुमने पाया लेकिन असली खजाना दबा-सा रह जायेगा इसलिए अपने जीवन में तेज लाओ । ‘भगवद्गीता’ के 16वें अध्याय के …

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