214 ऋषि प्रसादः अक्तूबर 2010

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

कार्तिक मास की महिमा


(कार्तिक मास व्रतः 23 अक्तूबर से 21 नवम्बर 2010) सूतजी ने महर्षियों से कहाः पापनाशक कार्तिक मास का बहुत ही दिव्य प्रभाव बतलाया गया है। यह मास भगवान विष्णु को सदा ही प्रिय तथा भोग और मोक्षरूपी फल प्रदान करने वाला है। हरिजागरणं प्रातः स्नानं तुलसिसेवनम्। उद्यापनं दीपदानं व्रतान्येतानि कार्तिके।। ‘रात्रि में भगवान विष्णु के …

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ज्ञानसंयुक्त कर्म करें


(पूज्य बापू जी की पावन अमृतवाणी) जीवन में ज्ञान पहले और कर्म बाद में हो। और ज्ञान भी उत्तम ज्ञान… कर्म करने का ज्ञान नहीं, कर्म के परिणाम का ज्ञान। किस कर्म से भगवत्प्रेम, भगवदशांति, भगवन्माधुर्य, स्वतन्त्रता और जीवन रसमय होगा, वह ज्ञान मिले तो आपके कर्म दिव्य कर्म होते हैं। ज्ञान में तो दो …

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भागवत धर्म का संदेश देता पर्वः दीपावली


दीपावली 5 नवम्बर 2010 (पूज्य बापूजी के सत्संग-प्रवचन से) अज्ञानरूपी अंधकार पर ज्ञानरूपी प्रकाश की विजय का संदेश देता है जगमगाते दीपों का उत्सव ‘दीपावली’। उत्सव, ‘उत्’ माना उत्कृष्ट ‘सव’ माना यज्ञ। ऊँचा यज्ञ, उत्कृष्ट यज्ञ इसको बोलते हैं। उत्कृष्ट यज्ञ जीवन की माँग है। उत्सव में दुःख को भूलने का मुख्य उद्देश्य होता है। …

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