जीवन में लाइये भगवद्-लालसा और जिज्ञासा
-पूज्य बापू जी जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू । सो तेहि मिलन न कछु संदेहु ।। (श्री रामचरित. बा.कां. 258.3) जिसको जिस पर सत्य स्नेह हो जाता है वह उसे मिलता है, इसमें कोई संदेह नहीं क्योंकि तुम्हारा मन सत्यस्वरूप आत्मदेव से स्फुरित होता है । सत्य प्रेम जिसके प्रति होगा उसकी अवस्था को …