226 ऋषि प्रसादः अक्तूबर 2011

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

जीवन में लाइये भगवद्-लालसा और जिज्ञासा


-पूज्य बापू जी जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू । सो तेहि मिलन न कछु संदेहु ।। (श्री रामचरित. बा.कां. 258.3) जिसको जिस पर सत्य स्नेह हो जाता है वह उसे मिलता है, इसमें कोई संदेह नहीं क्योंकि तुम्हारा मन सत्यस्वरूप आत्मदेव से स्फुरित होता है । सत्य प्रेम जिसके प्रति होगा उसकी अवस्था को …

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पानी का धन पानी में


एक गाँव में कुछ ग्वाले रहते थे । वे पास के शहर में दूध बेचने जाते थे । उनमें से एक आदमी का नाम था माखनलाल । वह बड़ा लालची था इसलिए ज्यादा धन कमाने के चक्कर में दूध में आधा पानी मिला दिया करता था । एक दिन की बात है, महीने भर की …

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