310 ऋषि प्रसादः अक्तूबर 2018

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

सब अनर्थों का बीज और उसका नाश


अनर्थ क्या है ? जो असत् है, जड़ है और दुःखरूप है वही अनर्थ है। अर्थ तो केवल एक आत्मवस्तु (आत्मा) है। इसलिए जब तक आत्मवस्तु की परिपूर्ण ब्रह्म के रूप में बोधरूप उपलब्धि नहीं होगी, तब तक अनर्थ का बीज नष्ट नहीं हो सकता। आत्मा को ब्रह्मरूप में न जानना ही सब अनर्थों का …

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भगवान का प्यारा कैसे बनें ?


भगवान श्री राम सीता जी को खोजते हुए किष्किंधा पहुँचे। वानरराज सुग्रीव के कहने पर हनुमान जी ब्राह्मण का रूप लेकर राम जी का भेद जानने आये। उन्होंने प्रभु को प्रणाम कर परिचय पूछा, तब भगवान ने परिचय दिया और हनुमान जी से पूछाः “तुम कौन हो ?” हनुमान जी पहचान गये कि ये तो …

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बस, तीव्र विवेक होना चाहिए-पूज्य बापू जी


विवेक किसको बोलते हैं ? दो चीजें मिल गयी हों, मिश्रित हो गयी हों उनको अलग करने की कला का नाम है विवेक। परमात्मा चेतन है, जगत जड़ है और दोनों के मिश्रण से सृष्टि चलती है। सृष्टि में सुख-दुःख, लाभ-हानि, अच्छा-बुरा, जीवन-मरण-यह सब मिश्रित हो गया है। उनमें से सार-असार को, नित्य अनित्य को, …

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