सब अनर्थों का बीज और उसका नाश
अनर्थ क्या है ? जो असत् है, जड़ है और दुःखरूप है वही अनर्थ है। अर्थ तो केवल एक आत्मवस्तु (आत्मा) है। इसलिए जब तक आत्मवस्तु की परिपूर्ण ब्रह्म के रूप में बोधरूप उपलब्धि नहीं होगी, तब तक अनर्थ का बीज नष्ट नहीं हो सकता। आत्मा को ब्रह्मरूप में न जानना ही सब अनर्थों का …