चंचल मन से कैसे पायें अचल पद ? – पूज्य बापू जी
संसार का रस टिकता नहीं और मनुष्य की नीरसता मिटती नहीं, खुद मिटकर मर जाता है, बोलो! अब क्या करें? तो जहाँ सच्चा, शाश्वत रस है वहाँ मन को लगाना चाहिए। लेकिन मन चंचल है। तो केवल मन चंचल है? पृथ्वी भी चंचल है, घूमती रहती है, १ मिनट में करीब २८ किलोमीटर घूमती है। …