335 ऋषि प्रसादः नवम्बर 2020

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

चंचल मन से कैसे पायें अचल पद ? – पूज्य बापू जी


संसार का रस टिकता नहीं और मनुष्य की नीरसता मिटती नहीं, खुद मिटकर मर जाता है, बोलो! अब क्या करें? तो जहाँ सच्चा, शाश्वत रस है वहाँ मन को लगाना चाहिए। लेकिन मन चंचल है। तो केवल मन चंचल है? पृथ्वी भी चंचल है, घूमती रहती है, १ मिनट में करीब २८ किलोमीटर घूमती है। …

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मंगल, सर्वमंगल, सर्वसुमंगल-पूज्य बापू जी


मंगल उसे कहते हैं जो सुख, शांति, आनंद है लेकिन वह मंगल भी तीन प्रकार का होता है। पहलाः पत्नी, पति अनुकूल है, काम धंधा ठीक है, घर में वैमनस्य नहीं है, मंगलमय जिंदगी है इसको सामान्य मंगल बोलते हैं। दूसराः इससे बड़ा मंगल सबका मंगल और होता है जिसको सर्वमंगल कहते हैं। सबकी भलाई …

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परिप्रश्नेन…


प्रश्नः संसार किनके लिए नरक है और किनके लिए भगवन्मय है ? पूज्य बापू जीः जो संसार में से सुख लेना चाहते हैं उनके लिए संसार नरक है । व्यक्ति जितना जगत का सुख लेगा उतना नारकीय स्वभाव बढ़ेगा । चिड़चिड़ा, सनकी, डरपोक, गुस्सेबाज हो जायेगा । यूरोप में, अमेरिका में लोग ज्यादा चिड़चिड़े हैं, …

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