हमारा व्यवहार कैसा हो?
हम सोचते थे कि कोई कैसा भी व्यवहार करें हमको तो ईश्वर के लिए, गुरु के लिए.. बस कोई कैसा भी करे व्यवहार, हम तो ईश्वर के लिए हैं। यह जरूरी नहीं कि हम घर छोड़ के गुरुद्वार गये अथवा कहीं गये तो सब लोग हमारे मन के अनुकूल चले । यह तो संभव भी …