★ हमारे शहर में एक नौजवान को पागल कुत्ते ने काट लिया । नौजवान ने इसे अनसुना करके सिर्फ प्राथमिक उपचार करवा लिया, परंतु कुछ ही घण्टों के पश्चात् उस नौजवान के शरीर में पागल कुत्ते का जहर फैलना आरंभ हो गया । परिजनों ने उसे चिकित्सालय में दाखिल करवाया, उस समय उसकी हालत ऐसी थी कि उसकी स्थिति को देखकर कैसे भी मजबूत मनवाले आदमी के रोंगटे खडे हो जायें ।
★ उस नौजवान का सारा शरीर काला पडता जा रहा था । आँखें ऐसी फाड-फाडकर देख रहा था, मानो खूब उबल रहा हो । वह बूरी तरह से तडप रहा था, कभी पलंग पर लोट लगाता तो कभी ऊँची-ऊँची उछलकूद मचाता । पाँच-छः हट्टेकट्टे शरीरवाले युवा भी उसे पकड नहीं पा रहे थे ।
★ उसकी हड्डियों में ऐसी आवाजें आती जैसे अंदर सभी का चुरा हो रहा हो । दाँतों के बीच जिह्वा फँस जाने से वह पूरा लहूलुहान हो चुका था । पल-पल में तरह-तरह की भयानक मुखाकृति बनाता । उसके शरीर में जहर फैलने से उसे इतनी बेचैनी हो रही थी कि उसे गादी और तकिये की सारी रूई को जार-जार करके पूरे वार्ड में फैला दी ।
★ चिकित्सों का कहना था कि यदि इस नौजवान के नाखून भी किसी संभालने वाले को लग जायें तो उसे जहर चढने में तनिक भी देर नहीं लगेगी । चिकित्सकों ने उसे नींद के कई इंजेक्शन भी दिये लेकिन वह काबू से बाहर हो चुका था । चिकित्सकों ने स्पष्ट कह दिया था कि अब यह अंतिम साँसें गिन रहा है, इसे घर ले जाया जाए ।
★ मुझे लगा कि अब जबकि सभी ने हाथ खडे कर दिये हैं, और यह नौजवान भी मौत और जीवन के बीच लड रहा है, तो क्यों न मैं अपने पूजनीय गुरुदेव से इसके लिए ‘जीवनदान” की याचना करूँ ?
★ मेरे अपने अंतःकरण से उसकी सहमति दी और मैं तुरन्त घर पर श्रद्धेय गुरुदेव से सच्चे हृदय से भावविभोर होकर प्रार्थना की :
‘‘हे प्रभु ! मेरे गुरुदेव ! अब आपका ही आसरा है । सभी हार चुके हैं, लेकिन आपके आशीर्वाद से हार विजय में बदल सकती है । हमारे लिए यह कार्य असंभव है और आपके लिए असंभव कुछ भी नहीं । मेरे आसाराम भगवान ! दया करो… आपकी अमृत-कृपा से उसे एक नया जीवन प्रदान हो सकता है । इस तरह मैंने काफी समय तक गद्गद् कंठ से पूज्यश्री से प्रार्थना की और फिर शांत होकर मैं बापू की तस्वीर को निहारने लगा ।
★ यकायक मुझे ऐसी अनुभूति हुई कि : ‘‘अब मौत भी उसका बाल तक बाँका नहीं कर सकती है ।
सुबह जब मैं उस नौजवान के बारे में जानने गया तो पता चला कि डॉक्टर भी खुद दंग रह गया था कि यह क्या चमत्कार हो गया ! जो रात्रि में मौत की प्रतीक्षा कर रहा था, उसने भला नया जीवन कहाँ से पा लिया ? अर्ध रात्रि के बाद मानो उसकी पीडा यकायक गायब हो गयी । उसने ऐसी नींद ली जैसे त्रिलोकी का समूचा सुख उसे ही मिल रहा हो । युवान के मुख पर प्रातःकाल इतनी शान्ति नजर आ रही थी मानो कुछ हुआ ही नहीं हो ।
★ जिस रोग का इलाज सात समुन्दर पार भी संभव नहीं था, वह रोग पलंग पर लेटे-लेटे ही गायब हो गया । यह पूज्य बापू की करुणा का साक्षात् प्रमाण है और वह युवा स्वस्थ है ।
पूज्यश्री की असीम अनुकंपा का क्या बखान किया जाए ? पूज्य बापू पृथ्वी पर साक्षात् ब्रह्माजी हैं, जो देहधारियों में प्राण फूँकते हैं । पूज्य बापू के होते हुये हमें सांसारिक व्याधियों की क्या चिन्ता ?
★ श्रद्धेय गुरुवर की “प्राण-प्रदायिनी” कृपा के लिए हम सभी आपके श्रीचरणों में शत् शत् वन्दन कर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं ।
– नीलेश सोनी ‘लोहित”
पत्रकार,
दैनिक प्रसारण, रतलाम (म.प्र.)