198 ऋषि प्रसादः जून 2009

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

जपात् सिद्धिर्न संशयः


(पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से) जप करने से वायुमंडल में एक प्रकार का भगवदीय रस, भगवदीय आनंद व सात्त्विकता का संचार होता है, जो आज के वातावरण में विद्यमान वैचारिक प्रदूषण को दूर करता है । भगवन्नाम-जप के प्रभाव से दिव्य रक्षा-कवच बनता है, जो जापक को विभिन्न हलके तत्त्वों से बचाकर आध्यात्मिक व …

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विराट गुरु-तत्त्व की स्मृति जगाओ-पूज्य बापू जी


गुरुपूर्णिमा यह खबर देने वाला पर्व है कि आप कितने भी लघु शरीर, लघु अवस्था में हो फिर भी आपके अंदर विराट छुपा है । जैसे लहर समुद्र से अलग होकर अपने को मानेगी तो मौत की तरफ जायेगी, समुद्र से जुड़कर अपने को देखेगी तो विशाल है, ऐसे ही जीवात्मा अपने परमात्म-चैतन्य की ओर …

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गुरुभक्तियोग


किसी भी प्रकार के ज्ञान के उद्भव के लिए बाह्य साधन, कर्म या क्रिया आवश्यक है । अतः साधक में ज्ञान का आविर्भाव करने के लिए गुरु की आवश्यकता होती है । परस्पर प्रभावित करने की सार्वत्रिक प्रक्रिया के लिए एक-दूसरे के पूरक दो भाग के रूप में गुरु-शिष्य हैं । शिष्य में ज्ञान का …

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