आपको महान आत्मा का सुख पाना है तो एक महाव्रत ले लो ।
सुबह नींद से उठो, ‘जिसमें रातभर शांति पायी उस सच्चिदानंद प्रभु को
प्रणाम !…’ बस, चुप हो जाओ । गुरुमंत्र मिला है तो गुरुमंत्र जप लो,
नहीं तो चुप हो जाओ । सुबह का जाग्रत में 2 मिनट चुप होना बहुता
मायना रखता है ।
कोई कामकाज करो तो पहले थोड़ी देर गुरुमंत्र का जप करके चुप
हो जाओ, कामकाज में छक्के लगेंगे छ्क्के ! और फायदा होगा तो घमंड
नहीं होगा । फायदा हो और घमंड हुआ तो नुकसान हो गया आपका ।
बाहर से तो फायदा हुआ पर अँदर से नुकसान हो गया, आप अपने
सच्चिदानंद स्वभाव से गिर गये । बाहर नुकसान हो जाय और दुःख न
हो तो आपको नुकसान नहीं हुआ । लोग तो नुकसान हो चाहे न हो
दुःखी-सुखी होते रहते हैं । मैच में कोई जीता तो खुश हो जाते हैं, कोई
हारा तो दुःखी हो जाते हैं मुफ्त में । तुम्हारा सुख-दुःख पराश्रित न हो,
तुम्हारा सुख-दुःख शरीर के आश्रित न हो, मन और बुद्धि के आश्रित न
हो, तुम्हारे जीवन में सुख-दुःख रूपी द्वन्द्व न हो । ध्यान देना, बहुत
ऊँची बात है ब्रह्मज्ञान की ।
स्नातं तेन सर्वं तीर्थं दातं तेन सर्व दानम् ।
कृतं तेन सर्व यज्ञं येन क्षणं मनः ब्रह्मविचारे स्थिरं कृतम्।।
सारे तीर्थों में उसने स्नान कर लिया, सारा दान उसने दे दिया,
सारे यज्ञ उसने कर लिये, जिसने ब्रह्म परमात्मा के विचार में मन को
टिकाया ।
ऋषि प्रसाद, जनवरी 2023, पृष्ठ संख्या 2, अंक 361
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Anmol Yuktiyan
मौन का मजा – साईँ श्री लीलाशाह जी महाराज
ऐ गुरुमुखो ! तुमने कभी मौन का मजा लेकर देखा है ? यदि नहीं
तो लेकर देखो तो तुम्हें पता चले कि कितना आनंद आता है ! जिह्वा
को छोटी न समझो, यह जिह्वा धूप में बिठाये, यही छाया में, यही
जिह्वा मित्र को शत्रु बनाये तो यही शत्रु को मित्र बनाये ।
महात्मा गाँधी प्रत्येक सोमवार को मौन धारण करते थे । मौन-व्रत
करने से ही उन्हें ऐसी शक्ति प्राप्त होती थी जिससे दुनिया की कठिन
समस्याएँ भी वे मिनटों में हल कर देते थे । बोलने में तुम्हें बराबर
मजा आता है लेकिन कभी मौन का मजा लेकर तो देखो !
स्रोतः ऋषि प्रसाद, मार्च 2023, पृष्ठ संख्या 19 अंक 363
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विकराल स्वास्थ्य समस्याः कृमिरोग हर 2 में से 1 व्यस्क एवं 3 में से 2 बच्चों को ग्रसने वाली
आज पेट के कृमि एक बढ़ती स्वास्थ्य समस्या है । साधारण-सी मालूम पड़ने वाली यह समस्या बच्चों के शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास के लिए अत्यंत हानिकारक है । यह समस्या बड़ी उम्र के व्यक्तियों में भी पायी जाती है । कारणः पहले किये हुए भोजन के पूर्णरूप से पचने के पहले दोबारा खाना, दूध के साथ नमकयुक्त, खट्टे पदार्थों, फल, गुड़ आदि का सेवन, बेकरी के पदार्थ, फास्ट-फूड, चायनीज़ फूड, बिस्कुट, चॉकलेट आदि का सेवन, गुड़, मैदे व चावल के आटे से बने पदार्थों का अधिक सेवन, दही, दूध, मावा, पनीर, मिठाई, गन्ना – इनका लगातार अधिक सेवन, सफाई का ध्यान रखे बिना भोजन करना, दिन में सोना, आसन-व्यायाम का अभाव तथा कब्ज से पेट में कृमि होते हैं । मुँह में उँगली डालने, मुँह से नाखून चबाने तथा मिट्टी खाने की आदत से बच्चों में कृमि होने की सम्भावना अधिक होती है । लक्षण व दुष्प्रभावः शौच में कीड़े दिखना, गुदा में खुजली, अधिक खाने की इच्छा, पेट का फूलना व दर्द, जी मिचलाना, शरीर का कद न बढ़ना, वज़न कम होना, खून की कमी, बुद्धि की मंदता, कभी-कभी बेहोशी आना, बिस्तर में पेशाब होना – ये सभी या इनमें से कुछ लक्षण दिखते हैं । कृमि कभी-कभी पित्तवाहिनी में अवरोध करके पीलिया तथा आँतों के मार्ग को ही बंद कर देते हैं । ये मज्जा का भक्षण कर सिर के रोग तथा नेत्रों को हानि पहुँचा के नेत्ररोग उत्पन्न करते हैं । इन दुष्परिणामों को न जानने से बच्चों के पेट में होने वाले कृमि को नज़रअंदाज करते हैं । कृमिरोग से सुरक्षा के उपाय अथर्ववेद (कांड 2, सूक्त 32, मंत्र 1) में आता हैः ‘उदय होता हुआ प्रकाशमान सूर्य कृमियों को मारे और अस्त होता हुआ भी सूर्य अपनी किरणों से कृमियों को मारे ।’ भगवान सूर्य से उपरोक्तानुसार प्रार्थना करें । रोज सुबह सूर्यस्नान करें । रोज तुलसी के 5-7 पत्ते खायें । आहारः जौ, कुलथी, पपीता, अनानास, अजवायन, हींग, सोंठ, सरसों, मेथी, जीरा, अरंडी का तेल, पुदीना, करेला, बैंगन, सहजन की फली, परवल, लहसुन आदि का उपयोग अपनी प्रकृति, ऋतु आदि का ध्यान रखते हुए विशेषरूप से करें । फलों एवं सब्जियों को अच्छे से धोकर प्रयोग करें व बाजारू अपवित्र खाद्य पदार्थों से बचें । पूज्य बापू जी द्वारा बताये गये कृमिनाशक प्रयोग 1 लगभग 70 प्रतिशत बच्चों के पेट में कृमि की शिकायत होती है । इंजेक्शन और कैप्सूल के कोर्स करने के बाद भी कृमियों के सूक्ष्ण जीवाणुओं के अंडे रह जाते हैं और समय पाकर पनपते हैं । सुबह खाली पेट पपीते के 7 बीज व तुलसी के 5-7 पत्ते लम्बा समय खिलायें (सप्ताह में 4-5 दिन) । पपीते का नाश्ता करायें । इससे कृमि तो जायेंगे, साथ ही उनके अंडे भी चले जायेंगे । तुलसी कृमियों को भगायेगी और बच्चा होनहार होगा, निरोग होगा । 7 वर्ष तक अगर बच्चे को निरोग रख पाओ तो फिर उसे कोई बीमारी चिपकेगी नहीं, आयी तो रुकेगी नहीं । साल-दो साल में फिर से ऐसा प्रयोग कर लीजिये । बड़ी उम्र वालों में 100 में से 50 व्यक्तियों को पेट में कृमि की शिकायत होती है । इसलिए खाते-पीते हुए भी उनका शरीर पुष्ट नहीं होता और कमजोरी-सी महसूस होती है । उनको भी यह प्रयोग करना चाहिए । सुबह उठते ही कुल्ला आदि करके बच्चे 10 ग्रा गुड़ के साथ आधा ग्राम अजवायन-चूर्ण तथा बड़ 25 ग्राम गुड़ के साथ 1 से 2 ग्राम अजवायन चूर्ण बासी पानी के साथ खायें । इससे आँतों में मौजूद सबी प्रकार के कृमि नष्ट हो जाते हैं । यह प्रयोग 3 दिन से एक सप्ताह तक कर सकते हैं । कृमिनाशक औषधि प्रयोगः 1. सुबह खाली पेट 1 से 3 गोली कोष्ठशुद्धि कल्प 10 मि.ली. नीम अर्क के साथ गर्म पानी से लें । 2. 1-1 तुलसी बीज टेबलेट सुबह-शाम भोजन के बाद चबाकर सेवन करें । 3. 1-1 लीवर टॉनिक टेबलेट सुबह-शाम लें । विशेषः कृमि का शरीर पर अधिक दुष्प्रभाव दिखाई तो वैद्यकीय सलाह से उपचार करें । स्रोतः ऋषि प्रसाद, दिसम्बर 2022, पृष्ठ संख्या 32, 33 अंक 360 ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ